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महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
राम जेठमलानी
« »30-Oct-2023
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राम जेठमलानी कानूनी प्रतिभा तथा दृढ़ वकालत का पर्याय होने के साथ-साथ भारत के सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद वकीलों में से एक थे। उनका जन्म 14 सितंबर 1923 को शिकारपुर, सिंध (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनकी प्रतिभा केवल न्यायालयों तक ही सीमित नहीं थी, उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा, उनका जीवन विविध अनुभवों से भरा था जो युवा वकीलों एवं अधिवक्ताओं के लिये मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। उनका निधन 8 सितंबर 2019 को नई दिल्ली में हुआ।
राम जेठमलानी का करियर:
- राम जेठमलानी ने 17 वर्ष की उम्र में विधि में स्नातक की पढ़ाई पूरी की तथा 18 वर्ष की आयु में बार काउंसिल में प्रवेश लिया।
- उन्होंने वरिष्ठ वकील के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में अपने मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व किया।
- उन्होंने कई बार राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में कार्य किया और साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री भी रहे थे।
राम जेठमलानी के उल्लेखनीय मामले:
- के. एम. नानावती बनाम महाराष्ट्र राज्य (1962):
- अत्यधिक प्रचारित नानावती मामला उन प्रमुख प्रारंभिक उदाहरणों में से एक था जिसने जेठमलानी को लोगों की नज़रों में ला दिया।
- नौसेना कमांडर के. एम. नानावटी पर उस व्यवसायी की हत्या का मुकदमा चलाया गया, जिस पर उसे अपनी पत्नी के साथ संबंध होने का संदेह था।
- राम जेठमलानी ने व्यवसायी का बचाव किया था।
- यह मामला न केवल जेठमलानी के करियर में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ, बल्कि कानूनी प्रणाली पर भी इसका स्थायी प्रभाव पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप अंततः भारत में जूरी प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।
- केहर सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ(1988):
- राम जेठमलानी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे का बचाव किया था।
- इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 72 के अंर्तगत राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान को अनुग्रह का कार्य माना।
- हर्षद मेहता सिक्योरिटीज घोटाला (1992):
- राम जेठमलानी ने 70 मामलों में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपी अत्यधिक प्रचारित शेयर दलाल हर्षद मेहता का प्रतिनिधित्व किया।
- नियमों एवं वित्तीय गतिविधियों के जटिल जाल पर जेठमलानी द्वारा कुशलतापूर्वक वाद-विवाद किया गया।
- हालाँकि बाद में हर्षद मेहता की सजा बरकरार रखी गई, परंतु राम जेठमलानी के बचाव द्वारा वित्तीय प्रणाली एवं नियामक ढाँचे में कमियों की ओर ध्यान आकर्षित हुआ।
- मनोहर जोशी बनाम नितिन भाऊराव पाटिल (1995):
- 1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के संबंध में, यह मुकदमा "हिंदुत्व" शब्द के अर्थ से संबंधित था और साथ ही यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक अभियानों में इसका उपयोग भ्रष्ट आचरण है या नहीं।
- राम जेठमलानी ने तर्क दिया कि 'हिंदुत्व' जीवन का एक तरीका है, न कि धर्म और राजनीतिक प्रवचन में इसका उपयोग वैध है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि 'हिंदुत्व' अथवा 'हिंदू धर्म' शब्द किसी विशेष धर्म को संदर्भित नहीं करते हैं बल्कि जीवन जीने के तरीके को शामिल करते हैं।
- दिल्ली राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाम सैयद अब्दुल रहमान गिलानी (2004):
- राम जेठमलानी संसद हमले के मामले में सैयद अब्दुल रहमान गिलानी की ओर से वकालत की, जिसके कारण आरोपी दोषमुक्त हो गए।
- अरुण जेटली बनाम अरविंद केजरीवाल (2017):
- राम जेठमलानी ने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर एक मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का प्रतिनिधित्व किया था।
- कार्यवाही के दौरान, अपनी स्पष्ट और कभी-कभी विवादास्पद टिप्पणियों के लिये जाने, जाने वाले जेठमलानी द्वारा जेटली के विरुद्ध कठोर वक्तव्य का प्रयोग करके सुर्खियों में रहे।
- इस मामले द्वारा न केवल अपने कानूनी निहितार्थों के लिये, बल्कि वाद-विवाद के दौरान सम्मुख आए न्यायालीय घटनाचक्र पर भी ध्यान आकर्षित किया।
राम जेठमलानी के महत्त्वपूर्ण वक्तव्य :
- राम जेठमलानी ने कहा कि “न्यायाधीश का कार्य यह देखना है कि कानून लागू हो और कानून तोड़ने वाले को सजा मिले। आज कानून का शासन दुर्भाग्यवश लगातार घोटालों के शासन के कारण विस्थापित हो गया है। कानून की आत्मा पीड़ा में है, अच्छे वकील और सभी अच्छे आदमी देख सकते हैं कि कानून प्रवर्तन ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है।''
- इसके हृदय में व्याप्त दहन को ईंधन देने के लिये स्वच्छ हवा की आवश्यकता होती है।