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सांविधानिक विधि

भारतीय संविधान का भाग 5 - संघ (I)

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 29-Aug-2025

परिचय 

भारतीय संविधान केंद्र सरकार की कार्यपालिका शाखा के लिये एक विस्तृत व्यवस्था स्थापित करता है, जिसमें राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है। भाग 5, अध्याय 1 में बताया गया है कि कार्यपालिका शक्तियों का बंटवारा कैसे होता है, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है, और कौन से नियम इन पदों की रक्षा करते हैं। राष्ट्रपति की भूमिका औपचारिक होती है, किंतु वास्तविक निर्णय मंत्रिपरिषद के पास होते हैं, जिससे शासन की एक संतुलित व्यवस्था बनती है।  

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 

  • अनुच्छेद 52 - भारत का राष्ट्रपति 
    • यह स्थापित करता है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा। 
  • अनुच्छेद 53 - संघ की कार्यपालिका शक्ति 
    • संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह स्वयं या अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से कर सकता है। 
  • अनुच्छेद 54 - राष्ट्रपति का निर्वाचन 
    • राष्ट्रपति का निर्वाचन निर्वाचन-मंडल द्वारा किया जाएगा, जिसमें संसद तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होंगे। 
  • अनुच्छेद 55 - राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया  
    • राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा एवं गुप्त मतदान से किया जाएगा। 
  • अनुच्छेद 56 - राष्ट्रपति का कार्यकाल 
    • राष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा तथा पुनः निर्वाचन हेतु पात्र होगा 
  • अनुच्छेद 57 - पुनर्निर्वाचन के लिये पात्रता 
    • राष्ट्रपति के रूप में पद धारण करने वाला व्यक्ति पुनर्निर्वाचन हेतु पात्र है।  
  • अनुच्छेद 58 - राष्ट्रपति के निर्वाचित होने के लिये अर्हताएं 
    • राष्ट्रपति को भारतीय नागरिक होना चाहिये, 35 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिये तथा लोकसभा की सदस्यता के लिये अर्हित होना चाहिये 
  • अनुच्छेद 59 - राष्ट्रपति पद के लिये शर्तें 
    • राष्ट्रपति संसद/राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता, लाभ का पद धारण नहीं कर सकता, सरकारी भत्तों और उपलब्धियों का हकदार होगा 
  • अनुच्छेद 60 - राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान 
    • राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव की शपथ लेते हैं। 
  • अनुच्छेद 61 - राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया 
    • राष्ट्रपति पर संविधान के उल्लंघन के लिये संसद द्वारा दोनों सदनों के 2/3 बहुमत से, महाभियोग द्वारा पद से हटाया जा सकता है 
  • अनुच्छेद 62 - रिक्ति को भरने के लिये निर्वाचन करने का समय 
    • राष्ट्रपति पद के रिक्त पद को भरने के लिये निर्वाचन 6 मास के भीतर पूरा किया जाना चाहिये 
  • अनुच्छेद 63 - भारत का उपराष्ट्रपति 
    • यह स्थापित करता है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। 
  • अनुच्छेद 64 - उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना 
    • उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है तथा वह अन्य लाभ का पद धारण नहीं कर सकता। 
  • अनुच्छेद 65 - उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना 
    • राष्ट्रपति की रिक्तता, अनुपस्थिति या बीमारी के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। 
  • अनुच्छेद 66 - उपराष्ट्रपति का निर्वाचन 
    • उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के आधार पर किया जाता है। 
  • अनुच्छेद 67 - उपराष्ट्रपति की पदावधि 
    • उपराष्ट्रपति का पद 5 वर्ष तक रहता है तथा वह त्यागपत्र दे सकता है या राज्यसभा के प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है। 
  • अनुच्छेद 68 - उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिये निर्वाचन करने का समय 
    • उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिये निर्वाचन यथाशीघ्र आयोजित किया जाएगा। 
  • अनुच्छेद 69 - उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान 
    • उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा रखने की शपथ लेता है। 
  • अनुच्छेद 70 - अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन 
    • संसद, राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिये ऐसी आकस्मिकताओं का उपबंध कर सकती है जो इसमें सम्मिलित नहीं हैं। 
  • अनुच्छेद 71 - राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित मामले 
    • उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति/उप-राष्ट्रपति निर्वाचनों से संबंधित विवादों का विनिश्चय करता है; निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिये जाने पर भी कार्य वैध रहते हैं। 
  • अनुच्छेद 72 - राष्ट्रपति की क्षमादान देने की शक्ति 
    • राष्ट्रपति के पास संघीय विधि से संबंधित अपराधों, सेना न्यायालय के मामलों और मृत्युदण्ड के लिये क्षमादान, प्रविलंबन, विराम या परिहार देने की शक्ति है। 
  • अनुच्छेद 73 - संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार 
    • संघ की कार्यकारी शक्ति उन मामलों तक विस्तारित है जिन पर संसद विधि बना सकती है तथा संधि दायित्त्व तक भी। 

मंत्री परिषद् 

  • अनुच्छेद 74 - राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिये मंत्रि-परिषद् 
    • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रि-परिषद् राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देती है; 44वें संशोधन के पश्चात् सलाह बाध्यकारी है। 
  • अनुच्छेद 75 - मंत्रियों के संबंध में अन्य उपबंध 
    • प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है; मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है; लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्त्व; लोकसभा के आकार की सीमा 15% है। 
  • अनुच्छेद 76 - भारत का महान्यायवादी 
    • राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के अर्हित किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा; जो भारत का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है। 

सरकारी कार्य का संचालन 

  • अनुच्छेद 77 - भारत सरकार के कार्य का संचालन 
    • सभी कार्यपालिका कार्रवाई राष्ट्रपति के नाम पर की जाती है; राष्ट्रपति मंत्रियों के बीच कार्य आवंटन के लिये नियम बनाता है। 
  • अनुच्छेद 78 - राष्ट्रपति के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्त्तव्य 
    • प्रधानमंत्री को परिषद् के सभी निर्णयों की जानकारी देनी होगी तथा आवश्यकतानुसार राष्ट्रपति को जानकारी उपलब्ध करानी होगी।   

निष्कर्ष 

भारतीय संविधान के कार्यपालिका प्रावधान नियंत्रण और संतुलन की एक परिष्कृत प्रणाली का निर्माण करते हैं जो शासन की निरंतरता और लोकतांत्रिक जवाबदेही दोनों को सुनिश्चित करती है। राष्ट्रपति की औपचारिक भूमिका, प्रधानमंत्री के कार्यपालिका नेतृत्व और उपराष्ट्रपति के दोहरे कार्यों के माध्यम से, संविधान राष्ट्रीय प्रशासन के लिये एक स्थिर किंतु लचीला ढाँचा स्थापित करता है। यह सांविधानिक संरचना संविधान निर्माताओं के उस लोकतांत्रिक गणराज्य के दृष्टिकोण को दर्शाती है जहाँ शक्ति का वितरण होता है, उत्तरदायित्त्व स्पष्ट रूप से परिभाषित होता हैं, और व्यक्तिगत सत्ता पर विधि का शासन हावी होता है।