होम / भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872)

आपराधिक कानून

दहेज मृत्यु के संबंध में उपधारणा

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 28-Dec-2023

परिचय:

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act- IEA) की धारा 113B दहेज के लिये मृत्यु की उपधारणा से संबंधित है जिसे भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code- IPC) की धारा 304 B में परिभाषित किया गया है। दहेज मृत्यु के मामले में त्वरित न्याय प्रदान करने के लिये इस धारा को दहेज प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम [Dowry Prohibition (Amendment) Act], 1986 द्वारा शामिल किया गया था।

दहेज:

  • दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 के तहत दहेज को विवाह के एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को दी गई किसी भी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • यह संपत्ति विवाह से पहले, विवाह के दौरान या बाद में दी जा सकती है।
  • इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि यहाँ दहेज डावर या मेहर (Dower or Mahr) नहीं है जैसा कि मुस्लिम स्वीय विधि (Muslim Personal Laws) के तहत परिभाषित किया गया है।

दहेज मृत्यु:

  • IPC की धारा 304B दहेज मृत्यु से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि अगर किसी महिला के विवाह के सात वर्ष के भीतर किसी जलने या शारीरिक चोट से मृत्यु हो जाती है या यह पता चलता है कि उसके विवाह से पूर्व वह दहेज की मांग के संबंध में अपने पति या पति के किसी अन्य रिश्तेदार द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न का शिकार हुई थी, तो महिला की मृत्यु को दहेज मृत्यु माना जाएगा।

दहेज मृत्यु के संबंध में उपधारणा:

  • जब भी दहेज मृत्यु का प्रश्न हो और यदि यह साबित हो जाए कि दहेज की किसी मांग को लेकर महिला के साथ उसकी मृत्यु से ठीक पहले क्रूरता या उत्पीड़न किया गया है। न्यायालय यह मान लेगी कि ऐसे व्यक्ति ने IPC की धारा 304B के तहत दहेज मृत्यु की है।
  • ऐसे मामलों में, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होता है कि दहेज मृत्यु हुई है और फिर अपनी बेगुनाही साबित करने की ज़िम्मेदारी अभियुक्त पर आ जाती है।

दहेज मृत्यु के बारे में उपधारणा हेतु आवश्यक शर्तें:

  • निम्नलिखित अनिवार्यताओं के प्रमाण पर ही दहेज मृत्यु की उपधारणा की जाएगी।
    • न्यायालय के सामने प्रश्न यह होना चाहिये कि क्या अभियुक्त ने दहेज मृत्यु की है?
    • महिला को उसके पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा।
    • ऐसी क्रूरता या उत्पीड़न दहेज की किसी मांग के लिये या उसके संबंध में था।
    • ऐसी क्रूरता या उत्पीड़न उसकी मृत्यु से ठीक पहले हुआ था।
    • यह उसके विवाह के पहले सात वर्षों के दौरान होना चाहिये था।

उपधारणा की प्रकृति:

  • IEA की धारा 113B में होगा और नहीं हो सकता शब्द का उपयोग किया गया है तथा इसलिये यह कानून की एक धारणा है।
  • IEA की धारा 113B में शैल (Shall) शब्द का उपयोग किया गया है, मे (May) का नहीं और इसलिये यह विधि की एक उपधारणा (Presumption of Law) है।
  • न्यायालय के लिये यह उपधारणा करना अनिवार्य हो जाता है कि अभियुक्त दहेज मृत्यु का कारण बना।

निर्णयज विधि:

  • शांति बनाम हरियाणा राज्य (1990) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने फैसला किया कि धारा 304B और 498A परस्पर अनन्य नहीं हैं। न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि दहेज मृत्यु के अभियुक्त किसी को दोषी ठहराने के लिये अभियोजन पक्ष को यह साबित करने वाले साक्ष्य पेश करने होंगे कि दहेज की मांग के साथ उत्पीड़न और क्रूरता के कार्य भी किये गए थे।
  • सतबीर सिंह एवं अन्य बनाम हरियाणा राज्य (2021) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा, निर्णय में कहा गया है कि, धारा 304B में प्रयोग किये गए वाक्यांश 'शीघ्र पहले' (Soon Before) का अर्थ 'ठीक पहले' (Exactly Before) नहीं समझा जा सकता है।