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आपराधिक कानून

क्वारंटाइन नियम की अवज्ञा

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 08-Jan-2024

परिचय:

क्वारेंटाइन का तात्पर्य किसी संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये अलग-थलग रहने की स्थिति से है। यह संक्रामक रोगों की वृद्धि को रोकने के लिये केंद्र सरकार द्वारा चुना गया एक उपाय है।

  • सरकार के आदेश की ऐसी अवज्ञा के लिये सज़ा भारतीय दंड संहिता, 1860 के अध्याय XIV की धारा 271 के तहत निहित है।

IPC की धारा 271:

  • यह धारा क्वारंटाइन नियम की अवज्ञा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई किसी जलयान को क्वारंटाइन की स्थिति में रखे जाने के, या क्वारंटाइन की स्थिति वाले जलयानों का किनारे से या अन्य जलयानों से समागम विनियमित करने के, या ऐसे स्थानों के, जहाँ कोई संक्रामक रोग फैल रहा हो और अन्य स्थानों के बीच समागम विनियमित करने के लिये सरकार द्वारा बनाए गए और प्रख्यापित किसी नियम को जानते हुए, अवज्ञा करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
  • यह प्रावधान प्रकोप को रोकने और रोकथाम के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाले अपराधी को दंडित करने के लिये एक एहतियाती कानून है।
  • यह एक गैर-संज्ञेय, ज़मानती, गैर-शमनीय अपराध है जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।

धारा 271 के आवश्यक तत्त्व:

  • सरकार द्वारा बनाए गये नियम की अवज्ञा करना
  • क्वारंटाइन नियम
  • नियम का उद्देश्य किसी भी संक्रामक रोग के प्रसार को नियंत्रित करना होना चाहिये।
  • सरकार द्वारा बनाए गए या प्रख्यापित नियमों का ज्ञान।
  • तट के साथ पृथक किये गए जहाज़ों, जहाज़ के साथ जहाज़, उन स्थानों के साथ जहाँ बीमारी फैल गई है, अन्य स्थानों के साथ समागम के नियमन हेतु।

धारा 271 के कार्यान्वयन की परिस्थितियाँ:

  • ऐसी कुछ परिस्थितियाँ हैं जिनमें क्वारंटाइन नियम लागू किया जा सकता है। वह परिस्थितियाँ नीचे उल्लिखित हैं:
    • प्रकोप- प्रकोप उस स्थिति को कहा जाता है जब किसी संक्रमण के मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है।
    • महामारी (Epidemics)- संक्रमण व्यापक होने के कारण स्थिति प्रकोप का एक गंभीर रूप है।
    • वैश्विक महामारी (Pandemics)- यदि कोई संक्रमण या बीमारी विश्व स्तर पर फैलती है तो उसे वैश्विक महामारी कहा जाता है।

निर्णयज विधि:

  • एस. के. चिलमकुर्थी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2020) के मामले में, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि COVID​​-19 के दौरान यदि व्यक्ति ने अपनी क्वारंटाइन अवधि पार कर ली है, तो उसे IPC की धारा 271 के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।