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सांविधानिक विधि

टी. देवदासन बनाम भारत संघ (1964) SC 179

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 05-Aug-2024

परिचय:

इस मामले में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) की व्यापक अर्थ में व्याख्या की गई है तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी राज्य भर्तियों में पालन किये जाने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।

तथ्य:

  • इस मामले में याचिकाकर्त्ता केंद्रीय सचिवालय में श्रेणी IV का एक सहायक था, जो अगले यूनिट अधिकारी ग्रेड के लिये योग्य था।
  • वर्ष 1961 में, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 45 सहायक अधीक्षक पदों को भरने के लिये एक प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की, जिनमें से 29 अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के अभ्यर्थियों के लिये निर्धारित थे, जिससे शेष पद रिक्त रह गए।
  • याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि ST/SC अभ्यर्थियों के लिये सामान्य कोटे का 17% निषिद्ध किया जाना चाहिये ताकि अतिरिक्त रिक्तियाँ बनाई जा सकें।
  • याचिकाकर्त्ता ने अग्रनयन का नियम को भी चुनौती दी।

शामिल मुद्दे:

  • क्या अग्रनयन (कैरी फॉरवर्ड) का नियम COI के अनुच्छेद 16(1) का उल्लंघन है?
  • क्या अनुच्छेद 16(4) COI के अनुच्छेद 16(1) का उल्लंघन है?

टिप्पणी:

  • इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि COI का अनुच्छेद 16(4), अनुच्छेद 16(1) का अपवाद है, जिसे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये उपबंधित किया गया है।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि समान अवसर के विचार का उल्लंघन असमानुपातिक आरक्षण लागू करके नहीं किया जाना चाहिये अन्यथा यह COI के अनुच्छेद 14 को प्रभावित करेगा।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी स्पष्ट रूप से माना कि यदि आरक्षण 50% से अधिक हो जाता है तो अग्रनयन का नियम कार्य करना बंद कर देगा।

निष्कर्ष:

  • उच्चतम न्यायालय ने भारत के संविधान के अंतर्गत गारंटीकृत समान अवसर अधिकारों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से बचने के लिये COI के अनुच्छेद 16(4) के अनुपालन में भर्ती के लिये दिशा-निर्देश जारी किये।