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सांविधानिक विधि
गोवा उपकर (सेस) अधिनियम, 2000
« »29-Jan-2024
स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स
परिचय
हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने खनन और कोयला परिवहन से जुड़ी विभिन्न कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए गोवा ग्रामीण सुधार एवं कल्याण उपकर अधिनियम, 2000 की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
- उच्च न्यायालय ने हानिकारक खतरनाक की शिपिंग के कारण होने वाले पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिये कानून बनाने के लिये राज्य सरकार की सराहना की।
गोवा उपकर (सेस) अधिनियम क्या है?
- इसे वर्ष 2000 में अधिनियमित किया गया था, किंतु बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये राजस्व में वृद्धि करने तथा प्लास्टिक के उपयोग, अपशिष्ट के अनुचित निपटान एवं विभिन्न पदार्थों के रिसाव से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिये इसे वर्ष 2006 से लागू किया गया।
- यह अधिनियम गोवा में कोयला, कोक, रेत, मलबा, अपशिष्ट, पैकेज्ड जल, खनिज अयस्क आदि सहित अनुसूचित सामग्रियों की शिपिंग करने वाले वाहकों पर उपकर आधिरोपित करता है।
गोवा उपकर अधिनियम की विशेषताएँ क्या हैं?
- इस अधिनियम को बुनियादी ढाँचेऔर स्वास्थ्य सुधार हेतु अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने के लिये अधिनियमित किया गया है, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक, अपशिष्ट का अनुचित निपटान तथा विभिन्न पदार्थों के रिसाव से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में जनकल्याण पर ध्यान केंद्रित करना है।
- यह अधिनियम राज्य सूची की सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता पर केंद्रित प्रविष्टि 6 एवं 66 से संबंधित है, साथ ही, यह सार्वजनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये धनीय शुल्क प्रदान करता है।
- यह आयातित वस्तुओं और गोवा में निर्मित वस्तुओं पर विभिन्न कर आधिरोपित नहीं करता है। यह गोवा के भीतर व्यापार, वाणिज्य की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- इस अधिनियम की धारा 4 में प्रावधान है कि यह "उपकर" रेलवे सहित किसी भी वाहक द्वारा शिपिंग की प्रक्रिया में प्लास्टिक के उपयोग, अपशिष्ट के अनुचित निपटान एवं विभिन्न पदार्थों के रिसाव से प्रभावित लोगों के लाभ के लिये है।
- यह कार्यपालिका को संबद्ध अनुसूची में दरें तय करने की शक्तियाँ प्रदान करता है।
- इस अधिनियम द्वारा राज्य के बाहर से अयस्क ले जाने वाले वाहकों के लिये अलग-अलग दरें लगाई गई हैं, और ये दरें स्वीकार्य वर्गीकरण पर आधारित हैं।
उपकर (सेस) क्या है?
- उत्पाद शुल्क और व्यक्तिगत आयकर जैसे सामान्य करों एवं शुल्कों से अलग, किसी विशिष्ट कार्य के लिये धन जुटाने के उद्देश्य से मौजूदा कर के अतिरिक्त आधिरोपित कर उपकर कहलाता है।
- केंद्र सरकार के पास करों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों), अधिभार, शुल्क और उपकर सहित कई प्रकार के शुल्क आधिरोपित करने का अधिकार है।
- आम तौर पर जनता द्वारा भुगतान किया जाने वाला उपकर भुगतान किये गए कुल कर के हिस्से के रूप में उनकी मूल कर देयता में जोड़ा जाता है।
- उपकर को करों के विभाज्य पूल से बाहर रखा जा सकता है जिसे केंद्र सरकार को भारत के संविधान, 1950 का अनुच्छेद 270 के तहत राज्यों के साथ साझा करना होता है।
सरकार द्वारा उद्गृहित विभिन्न प्रकार के उपकर क्या हैं?
- सरकार जनता को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर विभिन्न प्रकार के आधिरोपित करती है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- शिक्षा उपकर: सभी नागरिकों को अनिवार्य मुफ्त प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिये यह सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है।
- स्वास्थ्य उपकर: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वर्ष 2018 में प्रस्तावित यह उपकार गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एकत्रित किया जाता है।
- सड़क उपकर या ईंधन उपकर: सड़क एवं बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिये एकत्र किया जाने वाला उपकर।
- स्वच्छ ऊर्जा उपकर: इसे वर्ष 2010 में पेश किया गया था, यह कोयला, लिग्नाइट एवं पीट के उत्पादन व आयात पर लगने वाला कार्बन कर है, यह 'प्रदूषक भुगतान' सिद्धांत पर कार्य करता है।
- कृषि कल्याण उपकर: किसानों को कृषि गतिविधियों के लिये अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिये इसे वर्ष 2016 में पेश किया गया था।
- स्वच्छ भारत उपकर: स्वच्छ भारत के संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से इसे वर्ष 2014 में पेश किया गया, यह स्वच्छ भारत पहल को वित्तपोषित करने के लिये सभी कर योग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत कर आधिरोपित करता है।
निष्कर्ष
- गोवा के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण के साथ-साथ वाणिज्यिक उद्यमों के हितों के संबंध में, यह अधिनियम विशेष रूप से एक कुशल बुनियादी ढाँचे की सामाजिक आवश्यकता से संबंधित है।