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पारिवारिक कानून
विदेशी नागरिक के साथ समलैंगिक विवाह
« »20-Oct-2023
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
परिचय
विदेशीय विवाह अधिनियम, 1969 (FMA) भारत की संसद का वह अधिनियम है, जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विवाह के लिये शर्तें प्रदान करता है। यदि कोई भारतीय नागरिक किसी विदेशी नागरिक से विवाह करना चाहता है या यदि दोनों साथी भारतीय नागरिक हैं, लेकिन उनका विवाह भारत के बाहर हुआ है, तो FMA लागू होता है।
हालाँकि, सुप्रियो बनाम भारत संघ (2023) मामले में समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने पर 5 न्यायाधीशों की न्यायपीठ के निर्णय के बाद विदेशी नागरिकों के साथ समलैंगिक विवाह पर बहस को एक आधार मिल गया है। उच्चतम न्यायालाय ने विदेशीय विवाह अधिनियम (FMA) के कई पहलुओं एवं समलैंगिक विवाहों पर इसके आवेदन पर निर्णय सुनाया है।
विदेशीय विवाह अधिनियम, 1969
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वैध विवाह के लिये FMA के तहत मूलभूत कानूनी आवश्यकताएँ
- पक्षकारों में से एक को भारत का नागरिक हो।
- किसी भी पक्षकार के पास जीवित जीवनसाथी (पति या पत्नी) न हो।
- दोनों पक्षकारों को विवाह की वैध सहमति देने में सक्षम हों।
- विवाह के समय दूल्हे की आयु कम-से-कम 21 वर्ष और दुल्हन की आयु कम-से-कम 18 वर्ष हो।
- दोनों पक्षकारों में प्रतिषिद्ध कोटि की नातेदारी न हो।
- यह स्थानीय कानूनों का उल्लंघन न हो।
FMA के तहत विवाह करने की प्रक्रिया
- इस अधिनियम के तहत विवाह करने के इच्छुक पक्षकारों को उस ज़िले के विवाह अधिकारी को निर्धारित प्रपत्र में लिखित रूप में नोटिस देना चाहिये, जिसमें कम-से-कम एक पक्षकार नोटिस दिये जाने की तिथि से ठीक पहले कम-से-कम तीस दिन की अवधि के लिये निवास कर चुका हो।
- विवाह अधिकारी को इस अधिनियम में निर्दिष्ट तरीके से नोटिस प्रकाशित करना आवश्यक है।
- कोई भी व्यक्ति नोटिस प्रकाशन की तिथि से 30 दिन के भीतर विवाह पर आपत्ति कर सकता है।
- यदि कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है, तो विवाह अधिकारी तीस दिन की नोटिस अवधि समाप्त होने के बाद विवाह प्रमाणपत्र जारी करेगा।
- इस अधिनियम के तहत जारी किया गया विवाह प्रमाणपत्र विवाह का वैध प्रमाण है।
सुप्रियो बनाम भारत संघ मामले में FMA के किन पहलुओं का उल्लेख किया गया है?
- इस निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने उल्लेख किया कि कुछ याचिकाकर्त्ताओं ने FMA की सांविधिक वैधता को चुनौती दी तथा उच्चतम न्यायालय से यह घोषित करने की प्रार्थना की कि FMA उन दो व्यक्तियों पर लागू होता है जो विवाह करना चाहते हैं, चाहे उनकी लैंगिक पहचान एवं यौन अभिविन्यास कुछ भी हो।
- FMA की धारा 4 के खंड (c) और (d) में ऐसी आवश्यकताएँ शामिल हैं, जो इस न्यायालय को FMA की व्याख्या करने से रोकती हैं, जो कि उनके यौन अभिविन्यास की परवाह किये बिना उन व्यक्तियों पर लागू होती हैं।
- खंड (c) के अनुसार दूल्हे की आयु कम-से-कम इक्कीस वर्ष और दुल्हन की आयु कम-से-कम अठारह वर्ष होनी चाहिये।
- समलैंगिक जोड़ों के लिये न्यूनतम सामान्य आयु, प्रस्तावित सुझावों में से एक थी, लेकिन उन्हें खारिज़ कर दिया गया क्योंकि इसके परिप्रेक्ष्य में एक न्यायिक कानून पूर्व से लागू है।
- खंड (d) में पक्षकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे प्रतिषिद्ध कोटि की नातेदारी में न हों।
- न्यायालय FMA में किसी पक्षकार की प्रतिषिद्ध कोटि की नातेदारी का निर्धारण नहीं कर सकता क्योंकि यह दोनों पक्षकारों द्वारा अपनाए जाने वाले रीति-रिवाज़ों के बीच भिन्न हो सकती है जो कि समुदाय से समुदाय में भिन्न होती है।
- न्यायालय ने यह भी देखा कि विदेशीय विवाह अधिनियम, (FMA) की धारा 4(1)(c) के तहत विवाह की शर्तों में विशेष रूप से पक्षकारों को 'दुल्हन' और 'दूल्हा' होना आवश्यक है, यानी, यह प्रकृति में लैंगिक रूप में निर्धारित है।
FMA के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता न मिलने से उत्पन्न समस्याएँ
- उच्चतम न्यायालय ने उस समस्या पर चर्चा की, जो भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशी नागरिकों के साथ समलैंगिक विवाह के मामले में उत्पन्न हो सकती है, जो उस देश में वैध हो सकती है तथा भारत में इसकी कोई मान्यता नहीं है।
- उदाहरण के लिये, यदि कोई भारतीय नागरिक संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक से विवाह करता है, तो वह अमेरिका में विवाहित है तथा भारत में अविवाहित है।
आगे की राह
- उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक समिति बनाने तथा समलैंगिक जोड़ों की समस्याओं के समाधान तक पहुँचने का निर्देश दिया है, जिसमें विदेशीय विवाह अधिनियम (FMA) के तहत विवाहित जोड़े भी शामिल होंगे।
- न्यायालय ने समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों तथा उनके साथ होने वाले भेदभाव का निर्धारण किया है, लेकिन न्यायिक कानून तैयार करने के लिये उनकी संस्थागत सीमा का भी उल्लेख किया है।
- इसलिये विधायिका, विदेशीय विवाह अधिनियम (FMA)के दायरे में आने वाले समलैंगिक जोड़ों सहित समलैंगिक जोड़ों के अधिकार तथा अनुतोष का उल्लेख करते हुए एक कानून बना सकती है।