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उत्तराखंड

उत्तराखंड न्यायिक सेवा परीक्षा

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 17-Aug-2023

परिचय

उत्तराखंड न्यायिक सेवा परीक्षा को उत्तराखंड सिविल जज जूनियर डिवीज़न (CJ JD) परीक्षा के रूप में भी जाना जाता है।

  • उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल न्यायाधीश परीक्षा उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाती है।

अर्हता मानदंड

  • उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिये।
  • उम्मीदवार, भारत के किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विधि की उपाधि धारण करता हो।
  • साथ ही, उम्मीदवार को देवनागरी लिपि में हिंदी के गहन ज्ञान और कंप्यूटर संचालन का मूलभूत ज्ञान होना आवश्यक है।
  • परीक्षा हेतु आवेदन करते समय उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष से कम होनी चाहिये।
  • हालाँकि, आरक्षित श्रेणियों को आयु में छूट दी गई है:
    • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति - 5 वर्ष
    • अन्य पिछड़ा वर्ग - 3 वर्ष
    • दिव्यांग जन- 10 वर्ष

परीक्षा योजना

प्रतियोगिता परीक्षा में क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं यथा-

  • प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ प्रकार की)
  • मुख्य परीक्षा (लिखित परीक्षा) (परंपरागत प्रकार की)
  • मौखिक परीक्षा (व्यक्तित्व परीक्षा)

प्रारंभिक परीक्षा के लिये निर्धारित विषय एवं पाठ्यक्रम

  • प्रारंभिक परीक्षा में एक वस्तुनिष्ठ प्रश्न-पत्र होगा जिनके उत्तर पत्रक ओ.एम.आर. शीट के रूप में होंगे।
  • प्रश्न पत्र हेतु निर्धारित समय तीन घंटे है।
  • प्रश्न-पत्र में भाग- 1 सामान्य ज्ञान हेतु 50 अंक तथा भाग- 2 विधि हेतु 150 अंक नियत है।

पाठ्यक्रम निम्नवत् है-

भाग-1 सामान्य ज्ञानः भारत और विश्व की विशेषकर विधि जगत में घटित होने वाली दिन-प्रतिदिन की घटनाएँ सम्मिलित की जायेगी। प्रश्न मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय विधि, तटस्थता, नवीनतम लागू विधान विशेषकर भारतीय संविधान, विधि और विकास तथा विधिक मामले परंतु ये यही तक ही सीमित नहीं होंगे।

भाग-2 इसमें निम्नलिखित अधिनियम एवं विधियाँ सम्मिलित होगीः संपत्ति अंतरण अधिनियम, हिंदू विधि के सिद्धांत व मुस्लिम विधि के सिद्धांत, साक्ष्य अधिनियम, दण्ड प्रक्रिया संहिता, भारतीय दण्ड संहिता, सिविल (दीवानी) प्रक्रिया संहिता।

मुख्य परीक्षा के लिये निर्धारित विषय एवं पाठ्यक्रम

परीक्षा में निम्नलिखित विषय होंगे तथा प्रत्येक विषय के कुल अंक उसके सम्मुख दर्शाये गए हैं-

1. वर्तमान परिदृश्य (Present Day)     -          150       अंक
2. भाषा (Language)                 -      100   अंक
3. विधि प्रश्न पत्र-I (मुख्य विधि) (Substantive Law) -      150  अंक
4. विधि प्रश्न पत्र-II (प्रक्रिया और साक्ष्य) (Evidence and Procedure)   -      200 अंक
5. विधि प्रश्न पत्र-III (राजस्व और दाण्डिक) (Revenue & Criminal)   -      200 अंक
6. For Basic knowledge of computer operation practical Examination   -      100 अंक
7. व्यक्तित्व परीक्षा (VIVA-VOCE)   -   100 अंक

मुख्य परीक्षा (लिखित परीक्षा) का पाठ्यक्रम निम्नवत् है:

वर्तमान परिदृश्यः

  • यह प्रश्न पत्र भारत और विश्व में वर्तमान में क्या घटित हो रहा है, पर अभ्यर्थियों के ज्ञान की प्रतिक्रिया के परीक्षण के लिये है।
  • सामान्यतया वर्तमान परिदृश्य में विशेष रूप से विधिक क्षेत्र की और उसकी अभिव्यक्ति प्रदर्शित करने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल प्रकृति के होंगे जो मुख्यतया विधिशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय विधि, तटस्थता, नवीनतम विधायन एवं विशेष रूप से भारतीय संवैधानिक विधिा और विकास पर आधाारित होंगे।

भाषाः

  • अंग्रेज़ी का एक प्रस्तर प्रस्तुत किया जायेगा और अभ्यर्थियों से यह अपेक्षा की जायेगी कि वे उसका अनुवाद न्यायालयों में बोली जाने वाली सामान्य भाषा देवनागरी लिपि में करें। (30 अंक)
  • उसी प्रकार हिंदी के एक प्रस्तर की सामान्य अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद करने की अपेक्षा की जायेगी। (30 अंक)
  • साथ ही साथ एक अंग्रेज़ी लेखन (English Precis Writing) की भी परीक्षा होगी। (40 अंक)

विधि प्रश्न पत्र-I (मुख्य विधि):

  • संविदा विधि,1872
  • भागीदारी विधि,1932
  • सुखाचार और अपकृत्य विधि से संबंधित विधि,
  • संपत्ति के अंतरण से संबंधित, जिसमें साम्य का सिद्धांत भी सम्मिलित है,
  • साम्य का सिद्धांत न्यास और विनिर्दिष्ट अनुतोष,
  • हिंदू विधि और मुस्लिम विधि

विधि प्रश्न पत्र-II (प्रक्रिया और साक्ष्य):

  • साक्ष्य विधि,1872
  • दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973
  • सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 जिसमें अभिवचन के सिद्धांत भी सम्मिलित है, का क्षेत्र समाहित होगा

प्रश्न पत्र में मुख्यतया व्यावहारिक मामलों, जैसे आरोप और विवाद्यक बनाना, साक्षियों से साक्ष्य ग्रहण करने का तरीका, निर्णय लिखना और मामलों को सामान्यतया व्यवहृत करना आदि होगा परंतु यह इन्हीं विषयों तक सीमित नहीं होगा।

विधि प्रश्न पत्र-III (राजस्व और दाण्डिक):

  • उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (जैसा कि उत्तराखण्ड में लागू है)
  • भारतीय दण्ड संहिता, 1860

टिप्पणीः अभ्यर्थियों से यह अपेक्षा होगी कि वह विधि के समस्त प्रश्न पत्रों के उत्तर देते समय नवीनतम निर्णय तथा महत्त्वपूर्ण मामलों को उनमें उल्लिखित करें।

व्यक्तित्व परीक्षा (VIVA-VOCE)

  • न्यायिक सेवा में सेवायोजन के लिये अभ्यर्थी की उपयुक्तता उसके विद्यालय, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय के अभिलेखों और उसके बौद्धिक, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के संदर्भ में देखी जायेगी।
  • उसके सम्मुख जो प्रश्न रखे जायेंगे वह सामान्य प्रकृति के होंगे और यह आवश्यक नहीं होगा कि वे शैक्षिक अथवा विधिक प्रकृति के ही हों।

टिप्पणीः

  • व्यक्तित्व परीक्षा में प्राप्त अंक, मुख्य लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों में जोड़ दिये जायेंगे।
  • आयोग के पास यह अधिकार सुरक्षित होगा कि वह किसी अभ्यर्थी को, जिसने विधि प्रश्न पत्रों में निधारित अंक प्राप्त न किये हों, जैसा व्यक्तित्व परीक्षण में आमंत्रित करने के लिये आवश्यक हों अथवा देवनागरी लिपि में हिंदी लेखन का पर्याप्त ज्ञान न हो, व्यक्तित्व परीक्षा के लिये आमंत्रित करने से मना कर सकते हैं।