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सिविल कानून

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 का आदेश 14

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 12-May-2025

परिचय  

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 का आदेश 14, विवाद्यकों का स्थिरीकरण और  विधि विवाद्यकों के आधार पर या उन विवाद्यकों के आधार पर जिन पर रजामंदी हो गई है वाद के अवधारण को नियंत्रित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि पक्षकारों के बीच मुख्य विवादों की स्पष्ट रूप से पहचान की जाए और कुशलतापूर्वक निर्णय लिया जाए। विवाद्यकों की विरचना विचारण की प्रक्रिया से प्रारंभ होती है, जिससे विवाद के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर न्यायिक जांच पर ध्यान केंद्रित होता है। 

आवश्यक बातें/तत्त्व/पूर्वापेक्षाएँ क्या हैं? 

  • विवाद्यक तब पैदा होते हैं जब तथ्य या विधि की कोई तात्त्विक प्रतिपादना एक पक्षकार द्वारा प्रतिज्ञात और दूसरे पक्षकार द्वारा प्रत्याख्यात की जाती है। (आदेश 14 नियम 1(1)) 
  • तात्त्विक प्रतिपादनाएं वे हैं जो वादी के वाद करने के अधिकार या प्रतिवादी के प्रतिरक्षा के लिये आवश्यक हैं। (आदेश 14 नियम 1(2)) 
  • ऐसा प्रत्येक प्रतिज्ञात एक सुभिन्न विवाद्यक का विषय होगा। (आदेश 14 नियम 1(3)) 
  • विवाद्यकों को तथ्य के विवाद्यकों या विधि के विवाद्यकों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। (आदेश 14 नियम 1(4))  
  • न्यायालय प्रथम सुनवाई में अभिवचनों, दस्तावेज़ों और पक्षकारों की सुनवाई की समीक्षा करने के पश्चात् विवाद्यकों का विनिश्चय करता है। (आदेश XIV नियम 1(5)) 

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 14 के अधीन उपबंध और प्रक्रियाएँ क्या हैं? 

उपबंध/प्रक्रिया 

नियम संख्या 

विशिष्टता/मानदंड 

विवाद्यकों की विरचना  

आदेश 14 नियम 1 

पुष्टि और खंडन किये गए तात्त्विक प्रतिपादनाओं के आधार पर; तथ्य और विधि में वर्गीकृत; अभिवचनों और परीक्षा के पश्चात् प्रथम सुनवाई में तैयार किया गया 

सभी विवाद्यकों पर निर्णय सुनाया जाना  

आदेश 14 नियम 2 

न्यायालय को सभी विवाद्यकों पर निर्णय सुनाना होगा, जब तक कि विधि का कोई प्रारंभिक विवाद्यक (अधिकारिता या सांविधिक प्रतिबंध) मामले का निपटारा न कर दे  

वह सामग्री जिससे विवाद्यकों की विरचना की जा सकेगी  

आदेश 14 नियम 3 

शपथ पर किये गए अभिकथन, अभिवचनों, पूछताछ के उत्तरों या प्रस्तुत दस्तावेज़ों के आधार पर तैयार किये जा सकते है 

विवाद्यकों की विरचना करने से पहले जांच 

आदेश 14 नियम 4 

यदि आवश्यक हो तो न्यायालय मामले की सुनवाई स्थगित कर सकता है और उपस्थिति या दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिये आबद्ध कर सकता है 

विवाद्यकों को संशोधन/काट देने की शक्ति 

आदेश 14 नियम 5 

न्यायालय किसी भी समय डिक्री से पूर्व विवाद्यकों को संशोधित, जोड़ या काट सकती है 

करार द्वारा विवाद्यकों के रूप में कथित 

आदेश 14 नियम 6 

पक्षकार तथ्य या विधि के प्रश्नों को विवाद्यक के रूप में बताने के लिये लिखित रूप में सहमत हो सकते हैं 

सहमत विवाद्यकों पर निर्णय  

आदेश 14 नियम 7 

यदि करार सद्भावपूर्ण है, तो न्यायालय तदनुसार निर्णय सुना सकता है 

आदेश 14 के अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु क्या हैं? 

विवाद्यकों को उचित ढंग से प्रस्तुत करने से केंद्रित और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित होती है, तथा अनावश्यक साक्ष्य और तर्कों से बचा जा सकता है। 

न्यायालय के पास मूल न्याय सुनिश्चित करने के लिये विवाद्यकों को संशोधित करने या काट देने का विवेकाधिकार है (आदेश 14 नियम 5)। 

रजामंद विवाद्यक पक्षकारों को विवाद के दायरे को कम करके विचारण में तेजी लाने की अनुमति देते हैं (आदेश XIV नियम 6 और 7)। 

निष्कर्ष 

सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश 14, अभिवचनों और साक्ष्यों के आधार पर स्पष्ट विवाद्यकों का अवधारण करने के लिये पक्षकारों के बीच वास्तविक विवादों को स्पष्ट करने के लिये मौलिक है। इसके नियमों का पालन निष्पक्ष, कुशल और केंद्रित विचारण को सुनिश्चित करता है, जिसमें न्यायपालिका को न्याय की मांग के अनुसार विवाद्यकों को संशोधित करने का अधिकार है।