संसद
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सांविधानिक विधि

संसद

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 24-May-2024

परिचय:

सर्वोच्च विधायी निकाय होने के कारण, संसद केंद्र सरकार का विधायी अंग है। शासन के संसदीय स्वरूप को अपनाने के कारण यह भारतीय लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में एक प्रमुख और केंद्रीय स्थान रखती  है।

  • प्रथम निर्वाचित संसद, अप्रैल 1952 में अस्तित्त्व में आई।

संवैधानिक प्रावधान:

  • भारत के संविधान, 1950 (COI) के भाग 5 में निहित अनुच्छेद 79 से 122, संसद के संगठन, संरचना, अवधि, अधिकारियों, प्रक्रियाओं, विशेषाधिकारों एवं शक्तियों से संबंधित हैं।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79, संसद के गठन से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि संघ के लिये एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यसभा एवं लोकसभा के रूप में जाना जाएगा।

संसद के अंग:

राष्ट्रपति:

  • परिचय:
    • राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है और देश का सर्वोच्च औपचारिक प्राधिकारी होता है।
    • भारत का राष्ट्रपति किसी भी सदन का सदस्य नहीं है तथा इन सदनों की बैठकों में भाग लेने के लिये संसद में नहीं आता है, परंतु वह संसद का अभिन्न अंग होता है।
  • नियुक्ति:
    • संसद के निर्वाचित सदस्य (सांसद) और विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य (विधायक) भारत के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
  • शक्तियाँ:
    • किसी विधेयक को पारित करने के लिये सहमति: संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की सहमति के बिना विधि नहीं बन सकता।
    • सदनों का आह्वान और सत्रावसान: राष्ट्रपति के पास दोनों सदनों को बुलाने एवं स्थगित करने, लोकसभा को भंग करने और जब सदन सत्र नहीं चल रहा हो तो अध्यादेश जारी करने की शक्ति है।

राज्यसभा:   

  • परिचय:
    • यह उच्च सदन (राज्यों की परिषद) है तथा यह भारतीय संघ के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • राज्यसभा को संसद का स्थायी सदन कहा जाता है क्योंकि यह कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होता है।
    • भारत के संविधान की चौथी अनुसूची, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राज्यसभा में सीटों के आवंटन से संबंधित है।
  • गठन:
    • राज्यसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 है जिनमें से 238 सदस्य, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं (अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित) तथा 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं
  • प्रतिनिधियों का चुनाव:
    • राज्यों के प्रतिनिधियों का चुनाव राज्य विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
    • राज्यसभा में प्रत्येक केंद्रशासित प्रदेश के प्रतिनिधियों को, इस उद्देश्य के लिये विशेष रूप से गठित निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य, वे व्यक्ति होते हैं जिनके पास कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होता है।
  • कार्य:
    • लोकसभा द्वारा प्रस्तावित विधियों की समीक्षा करने तथा परिवर्तन करने में, राज्यसभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
    • राज्यसभा विधि बनाने की पहल भी कर सकती है तथा विधि बनने के लिये किसी भी विधेयक का राज्यसभा से पारित होना आवश्यक है।
  • शक्तियाँ:
    • राज्य से संबंधित मामले: राज्यसभा राज्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है। अतः राज्यों को प्रभावित करने वाला कोई भी मामला राज्यसभा की सहमति एवं अनुमोदन के लिये इसके पास भेजा जाना चाहिये।
    • यदि संसद किसी मामले को राज्य सूची से हटाना/स्थानांतरित करना चाहती है, तो राज्यसभा की सहमति आवश्यक है।

लोकसभा:

  • परिचय:
    • यह निम्न सदन (लोगों का सदन) है तथा यह भारत के लोगों का, समग्र रूप से प्रतिनिधित्व करता है।
  • गठन:
    • लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 550 निर्धारित है, जिसमें से 530 राज्यों के प्रतिनिधि तथा 20 केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होंगे।
  • प्रतिनिधियों का चुनाव:
    • राज्यों के प्रतिनिधि राज्य के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
    • केंद्रशासित प्रदेश (लोकसभा के लिये प्रत्यक्ष चुनाव) अधिनियम, 1965 द्वारा, केंद्रशासित प्रदेशों से लोकसभा के सदस्यों को प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुना जाता है।
  • कार्य:
    • लोकसभा के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्यपालिका का चयन करना है, यह व्यक्तियों का एक समूह होता है जो संसद द्वारा बनाई गई विधियों को लागू करने के लिये मिलकर काम करते हैं।
  • शक्तियाँ:
    • संयुक्त बैठक में निर्णय: किसी भी सामान्य विधि को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है। हालाँकि, दोनों सदनों के बीच किसी भी मतभेद की स्थिति में अंतिम निर्णय दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाकर लिया जाता है। अधिक सदस्य संख्या के कारण, ऐसी बैठक में लोकसभा का पक्ष प्रबल होने की संभावना अधिक रहती है।
    • धन के मामले में शक्ति: लोकसभा धन संबंधी मामलों में अधिक शक्तियों का प्रयोग करती है। एक बार जब लोकसभा, सरकार के बजट या किसी अन्य धन संबंधी कानून को पारित कर देती है, तो राज्यसभा उसे अस्वीकार नहीं कर सकती।
    • मंत्रिपरिषद पर अधिकार: लोकसभा मंत्रिपरिषद को नियंत्रित करती है।