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सिविल कानून
मुबारत तलाक
« »18-Dec-2023
परिचय:
- यह मुस्लिम विधि के तहत तलाक पक्षों के स्वयं के कृत्य या न्यायालय के आदेश द्वारा हो सकता है।
- कोई पति बिना कोई कारण बताए शादी से इनकार करके अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। इसमें ऐसे शब्दों का उच्चारण जो पत्नी को त्यागने के उसके इरादे को दर्शाता हो, पर्याप्त है।
- महिला को भी पति की तरह पहल करने और तलाक देने का समान अवसर दिया गया है।
- कोई भी पत्नी अपनी इच्छा से अपने पति को तलाक नहीं दे सकती। वह पति को तभी तलाक दे सकती है जब पति ने उसे ऐसा अधिकार किसी समझौते के तहत सौंपा हो।
- एक समझौते के तहत पत्नी अपने पति को खुला या मुबारत (Khula or Mubarat) के जरिये तलाक दे सकती है। अगर पति सहमति देता है तो मुबारत के तहत तलाक हो जाता है।
मुबारत:
- 'मुबारत' शब्द का शाब्दिक अर्थ एक दूसरे से अलग होना है। ऐसा तब कहा जाता है जब पति व पत्नी आपसी सहमति और इच्छा से अपनी विवाहित अवस्था से मुक्ति एवं स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं।
- 'मुबारत' में विशेषता यह है कि दोनों पक्ष तलाक चाहते हैं। 'मुबारत' में अलग होने का प्रस्ताव या तो पत्नी या पति किसी की भी ओर से हो सकता है।
अनिवार्यताएँ:
- पति या पत्नी, दोनों में से कोई भी यह प्रस्ताव दे सकता है।
- दूसरे पति या पत्नी को तलाक का प्रस्ताव स्वीकार करना होगा।
- एक बार जब इसे दूसरे साथी द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह असुधार्य हो जाता है।
- तलाक मंज़ूर होने से पहले इद्दत अवधि (Iddat Period) अनिवार्य है।
- पति/पत्नी में से किसी को भी कोई महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिये। साथ ही, अलग होने से पहले पत्नी को इद्दत की अवधि का पालन करना होगा।
क्या मुबारत तलाक के बराबर है?
- मुबारत तलाक के बराबर नहीं है. तलाक में, पति/पत्नी तलाक को रद्द कर सकते हैं और फिर से शांति से रह सकते हैं लेकिन मुबारत तलाक का एक अपरिवर्तनीय रूप है तथा इसे रद्द नहीं किया जा सकता है।
- इसके अलावा, तलाक में पति तलाक की पहल करता है लेकिन मुबारत में तलाक की पहल पत्नी की ओर से भी हो सकती है।