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सिविल कानून
विनिमय
« »18-Mar-2024
परिचय:
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TPA) की धारा 118 से 121 विनिमय की अवधारणा से संबंधित है। यह विक्रय के समान ही है लेकिन प्रतिफल में भिन्न है। यहाँ प्रतिफल धन नहीं, बल्कि दूसरी चीज़ है।
विनिमय:
- TPA की धारा 118 विनिमय को परिभाषित करती है।
- इस धारा में कहा गया है कि जबकि दो व्यक्ति एक चीज़ का स्वामित्व किसी अन्य चीज़ के स्वामित्व के लिये परस्पर अंतरित करते हैं, जिन दोनों चीज़ों में से कोई भी केवल धन नहीं है या दोनों चीज़ें केवल धन हैं, तब वह संव्यवहार “विनिमय” कहा जाता है।
- विनिमय को पूर्ण करने के लिये संपत्ति का अंतरण केवल ऐसे प्रकार से किया जा सकता है, जैसा ऐसी संपत्ति के विक्रय द्वारा अंतरण के लिये उपबंधित है।
- यह परिभाषा धन के भुगतान को पूरी तरह से अपवर्जित नहीं करती है। यदि विनिमय की जाने वाली दो संपत्तियों में से एक का मूल्य दूसरे से अधिक है, तो अंतरण फिर भी एक विनिमय होगा, भले ही दोनों संपत्तियों के मूल्य को बराबर करने के लिये संपत्ति के मालिक द्वारा कुछ अतिरिक्त धनराशि का भुगतान किया जाए।
- दृष्टांत:
- Y की पुस्तक के बदले X की कलम का विनिमय।
- A के 2000 रुपए के घर को B के 1200 रुपए के खेत से विनिमय किया जाना है और इस सौदे के अनुसरण में, B, A को 800 रुपए का भुगतान करने के लिये सहमत होता है। ऐसा संव्यवहार एक विनिमय है।
विनिमय की अनिवार्यताएँ:
- इसमें कम-से-कम दो पक्षकार और दो संपत्तियाँ होनी चाहिये, जिनमें से प्रत्येक की एक-एक संपत्ति हो।
- संपत्तियों के अलावा किसी अन्य प्रकार का प्रतिफल शामिल नहीं होना चाहिये।
- एक वस्तु का दूसरी वस्तु के लिये अंतरण होना चाहिये और ये दोनों या इनमें से कोई एक वस्तु जंगम या स्थावर हो सकती है।
- विनिमय का उद्देश्य विधिविरुद्ध नहीं होना चाहिये।
विनिमय में प्राप्त चीज़ से वंचित किये गए पक्षकार का अधिकार:
- TPA की धारा 119, विनिमय में प्राप्त चीज़ से वंचित किये गए पक्षकार के अधिकार से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि यदि विनिमय का कोई पक्षकार या ऐसे पक्षकार से व्युत्पन्न अधिकार के द्वारा या अधीन दावा करने वाला कोई व्यक्ति, दूसरे पक्षकार के हक में किसी त्रुटि के कारण उस चीज़ या चीज़ के भाग से, जो विनिमय द्वारा उसने प्राप्त की है, वंचित रह जाता है तो जब तक कि विनिमय के निबंधनों से कोई तत्प्रतिकूल आशय प्रतीत नहीं होता हो, ऐसा दूसरा पक्षकार उसके प्रति या उससे व्युत्पन्न अधिकार के द्वारा या अधीन दावा करने वाले व्यक्ति के प्रति उस हानि के लिये, जो तद्द्द्वारा हुई है, दायी है, अथवा इस प्रकार वंचित व्यक्ति के विकल्प पर उस अंतरित चीज़ को लौटाने के लिये दायी है, यदि जंतरित चीज़ तब तक ऐसे दूसरे पक्षकार या उसके विधिक प्रतिनिधि या उसके अप्रतिफल जंतरिती के कब्ज़े में ही हो।
पक्षकारों के अधिकार और दायित्व:
- TPA की धारा 120 पक्षकारों के अधिकारों और दायित्व से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि इस अध्याय में अन्यथा उपबंधित के सिवाय हर एक पक्षकार उस चीज़ के बारे में, जो वह देता है, विक्रेता के अधिकार रखता है तथा विक्रेता के दायित्वों के अध्यधीन होता है और उस चीज़ के बारे में, जिसे वह लेता है, क्रेता के अधिकार रखता है और क्रेता के दायित्वों के अध्यधीन होता है।
- विनिमय में प्रत्येक पक्ष उस संपत्ति के संबंध में क्रेता तथा विक्रेता के अधिकारों के अधीन होता है, जो वह क्रमशः प्राप्त करता है और देता है।
धन का विनिमय:
- TPA की धारा 121 धन के विनिमय से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि धन के विनियम पर हर एक पक्षकार अपने द्वारा दिये गए धन के असली होने की तद्द्द्वारा वारंटी देता है।