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सांविधानिक विधि

भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक

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 04-Mar-2024

परिचय:

भारत के संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान करता है। वह भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। उसे सार्वजनिक धन का संरक्षक माना जाता है और वह केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है।

COI का अनुच्छेद 148:

इस अनुच्छेद में कहा गया है कि - 

(1) भारत का एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसको राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा जिन रीति और आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।

(2) प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया जाता है अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिये दिये गए प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।

(3) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वेतन और सेवा की अन्य शर्ते ऐसी होगी जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक वे इस प्रकार अवधारित नहीं की जाती है तब तक ऐसी होंगी जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।

परंतु न तो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वेतन और न ही अनुपस्थिति की अनुमति, पेंशन या सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के बाद उसके लिये अलाभकारी परिवर्तन किया जाएगा।

(4) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, अपने पद पर न रह जाने के पश्चात्, भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होगा।

(5) इस संविधान के और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवा करने वाले व्यक्तियों की सेवा की शर्ते एवं नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की प्रशासनिक शक्तियाँ ऐसी होंगी जो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाएँ।

(6) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिनके अंतर्गत उस कार्यालय में सेवा करने वाले व्यक्तियों को या उनके संबंध में संदेय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन है, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।

CAG की नियुक्ति एवं कार्यकाल:

  • CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत एक वारंट द्वारा की जाती है।
  • CAG, अपना पद संभालने से पूर्व, राष्ट्रपति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान करता है और उस पर हस्ताक्षर करता है:
    • भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और राजनिष्ठा बनाए रखना।
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखना।
    • बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष के अपने कार्यालय के कर्त्तव्यों का विधिवत् और निष्ठापूर्वक तथा अपनी सर्वोत्तम क्षमता, ज्ञान एवं निर्णय लेने की कुशलता के अनुसार पालन करना।
    • संविधान और कानूनों को कायम रखना।
  • वह छह वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहता है।
  • वह राष्ट्रपति को त्यागपत्र संबोधित करके किसी भी समय अपने पद को त्याग सकता है। उसे राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान आधारों पर और उसी तरीके से हटाया भी जा सकता है।

CAG के कर्त्तव्य एवं शक्तियाँ:

  • COI का अनुच्छेद 149 CAG के कर्त्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ और राज्यों के तथा किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हें संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाए और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है, तब तक संघ और राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्त्तव्य का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले क्रमश: भारत डोमिनियन के और प्रांतो के लेखाओं के संबंध में भारत के महालेखापरीक्षक को प्रदत्त थीं या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य थीं|
  • COI के अनुच्छेद 150 के अनुसार, संघ और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्ररूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की सलाह पर विहित करे।

संपरीक्षा प्रतिवेदन:

  • COI का अनुच्छेद 151 संपरीक्षा प्रतिवेदन से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि -
    (1) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के संघ के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उनको संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
    (2) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के किसी राज्य के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उनको राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा।

CAG की स्वतंत्रता:

  • COI ने CAG की स्वतंत्रता सुरक्षित और सुनिश्चित करने के लिये निम्नलिखित प्रावधान किये हैं:
    • उसे कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की जाती है। उसे संविधान में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है।
    • उसके पद छोड़ने के बाद वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन आगे किसी पद के लिये पात्र नहीं होता है।
    • उसका वेतन और अन्य सेवा शर्तें संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
    • Neither his salary nor his rights in respect of leave of absence, pension or age of retirement can be altered to his disadvantage after his appointment.
    • उसकी नियुक्ति के बाद न तो उसके वेतन और न ही अनुपस्थिति की अनुमति, पेंशन या सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों में उसके नुकसान के लिये बदलाव किया जा सकता है।
    • न तो उसका वेतन और न ही अनुपस्थिति, पेंशन या सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों को उसकी नियुक्ति के बाद उसके नुकसान के लिये बदला जा सकता है।
    • भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत व्यक्तियों की सेवा की शर्तें एवं CAG की प्रशासनिक शक्तियाँ CAG के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
    • CAG के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिसमें उस कार्यालय में सेवारत व्यक्तियों के सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल होते हैं, भारत की समेकित निधि पर भारित होते हैं। इस प्रकार, वे संसद के वोट के अधीन नहीं हैं।
    • कोई भी मंत्री संसद (दोनों सदनों) में CAG का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है और किसी भी मंत्री को उसके द्वारा किये गए किसी भी कार्य हेतु कोई ज़िम्मेदारी लेने के लिये नहीं कहा जा सकता है ।