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सिविल कानून

ICA की धारा 71

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 27-May-2024

परिचय:

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 70 खोए हुए माल को प्राप्त करने वाले व्यक्ति के उत्तरदायित्वों से संबंधित है। यह धारा उन पाँच दायित्वों में से एक है जिन्हें अर्द्ध संविदा के रूप में जाना जाता है। अर्द्ध संविदा, ICA की धारा 68 से 72 में निहित हैं तथा ये दायित्व इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि विधि के साथ-साथ न्याय को भी अन्यायपूर्ण संवर्द्धन को रोकने का प्रयास करना चाहिये।

ICA की धारा 71:

  • यह धारा माल खोजने वाले के उत्तरदायित्व से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि एक व्यक्ति जो दूसरे का माल ढूँढता है तथा उसे अपनी अभिरक्षा में लेता है, वह किसी ज़मानतदार के समान ही उत्तरदायित्व के अधीन है।
  • चूँकि माल ढूँढने वाले की स्थिति एक ज़मानतदार की होती है, अतः उससे माल के संबंध में उतनी ही सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है, जितनी कि एक ज़मानतदार से अपेक्षा की जाती है।

माल खोजने वाले के कर्त्तव्य:

  • माल की देखभाल करने का कर्त्तव्य- खोजकर्त्ता को माल की तब तक देखभाल करनी चाहिये जब तक वह माल, स्वामी को वापस न कर दे। इसका अर्थ है कि खोजने वाले को खोए हुए माल की उचित देखभाल करनी होगी। इसका मतलब यह है कि उसे खोए हुए माल को क्षति, चोरी तथा होने वाली किसी भी अन्य क्षति से बचाना होगा।
  • सम्मत उद्देश्य के लिये माल का उपयोग करने का कर्त्तव्य- खोजकर्त्ता को खोए हुए माल का उपयोग केवल उसके सौंपे गए उद्देश्य के लिये ही करना चाहिये। स्वामी की सहमति के बिना, यदि वह विचलन करता है, तो इस विचलन का दायित्व, ज़मानतदार का होगा।
  • माल का मिश्रण न करने का कर्त्तव्य- खोजे हुए माल को अन्य किसी माल के साथ मिश्रित न होने देने का दायित्व खोजकर्त्ता का है। यदि माल मिश्रित है तो माल अलग न हो पाने पर वह उत्तरदायी होगा। यदि माल को अलग किया जा सकता है, तो ज़मानतदार मिश्रित माल को अलग करने का खर्च वहन करेगा।
  • संपत्ति लौटाने का कर्त्तव्य- माल खोजकर्त्ता को, माल के स्वामी द्वारा निर्दिष्ट समय की समाप्ति से पूर्व स्वामी को माल सौंपना या वापस करना होगा।
  • लेखा प्रस्तुत करने का कर्त्तव्य- जब स्वामी खोए हुए माल की स्थिति तथा माल की दशा के विषय में सूचना प्राप्त करने के लिये खोजकर्त्ता के पास जाता है, तो खोजकर्त्ता को ज़मानत से जुड़े सभी लेन-देन का सटीक लेखा प्रदान करना होगा तथा ज़मानतदार को सही लेखा बनाए रखना भी आवश्यक है।

माल खोजने वाले के अधिकार:

  • कब्ज़ा का अधिकार- खोजकर्त्ता के अधिकारों में से एक माल पर कब्ज़ा रखना है। परंतु कब्ज़े का अधिकार सीमित है। खोजकर्त्ता को माल का उपयोग केवल एक विशिष्ट उद्देश्य के लिये करना होगा, स्वामी की सहमति के बिना, वह किसी अन्य उद्देश्य के लिये माल का उपयोग नहीं कर सकता।
  • ग्रहणाधिकार का अधिकार- खोजकर्त्ता के पास ग्रहणाधिकार का अधिकार है, जिसका अर्थ है कि खोजकर्त्ता माल का कब्ज़ा तब तक रख सकता है जब तक कि माल के संबंध में शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता है। यह अधिकार तब लागू होगा जब दोनों पक्षों के बीच कोई विधिक अनुबंध हो।

निर्णयज विधि:

  • बॉम्बे राज्य (अब गुजरात) बनाम मेमन मोहम्मद हाजी हसम (1965) के मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना है कि खोए हुए माल को खोजने वाला ज़मानतदार की भूमिका निभाता है तथा माल के स्वामी के प्रति, माल खोजने वाले का उतना ही उत्तरदायित्व होता है जितना कि एक ज़मानतदार का होता है।